आरंभिक भारतीयकरण: घर की बासिक वस्तुएं
सोचिए और ध्यान दीजिए कि हमारे घर में आमतौर पर हम जितने भी पदार्थों का उपयोग करते हैं, उनमें से कितने भारतीय हैं। मैंने एक दिन इस पर गहरा विचार किया और पाया कि मेरे घर की बहुत सारी चीजें भारत में बनाई गई हैं। उदाहरण के लिए, चाय पत्तियाँ, हमारे खाने के मसाले, साबुन और यहां तक कि हमारी स्वच्छता के लिए जिन ब्रशों का उपयोग हम करते हैं, वे सभी भारत में बनाए गए हैं।
व्यावसायिक शैली: दफ्तरी सामग्री
जब हम अपने कार्यालय में जाते हैं, तो हमें वहां पर उपयोग होने वाली कुछ वस्तुएं देखने को मिलती हैं जो भारतीयों द्वारा निर्मित होती हैं। यह वस्तुएं होती हैं जैसे कि कागज, कलम, बिंदर, फाइल कवर, स्टैपलर और अन्य ऐसे ही विभिन्न दफ़तरी सामग्री जो हमारे दैनिक कार्यकलाप में उपयोग होती हैं।
मनोरंजन: खेल और खिलौने
हमारे पास कई खेल और खिलौने हैं जिन्हें भारतीयों ने विकसित किया है और आज भी उन्हें आनंद लेने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। करम, शतरंज, लुडो और स्नेक्स एंड लैडर्स, ये सभी प्रमुख भारतीय खेल हैं जिन्हें हमने पसंद किया है और विश्व भर में उन्हें स्वीकारता प्राप्त हुई है।
तकनीकी उत्कृष्टता: भारतीय गड़ियाँ
अगर हम भारतीय तकनीकी प्रगति की बात करें, तो एक चीज जो मेरे ख्याल से हमेशा सिराना रहेगी वो है "हमारी घड़ियाँ"। छोटी हो या बड़ी, दीवार पर टांगी हो या कलाई पर बंधी हो, घड़ियाँ हमारे समय को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। हमें गर्व होना चाहिए कि भारत ने गड़ियाँ बनाने वाली कुछ प्रमुख कंपनियों को जन्म दिया है जैसे कि हाड़ों,फास्ट्रैक, प्रेस्टीज और सोनाटा।
स्वतंत्रता पथ: भारतीय वस्त्र
कुछ वर्षों पहले, मेरी पत्नी प्रिया और मैंने फैसला किया था कि हम अब सिर्फ भारतीय वस्त्र ही पहनेंगे। यह विचार करने पर आश्चर्य होता है कि कितने सारे भारतीय वस्त्र हमारे उपयोग में हैं। धोती, साड़ी, कुर्ता, सलवार-कमीज, लहंगा, चूड़ी पायजामा - हमारे पास एक विशाल विविधतापूर्ण सूची है।
संवाद साधन: भारतीय विज्ञान
भारतीय वैज्ञानिकों ने भी अपने क्षेत्र में कई क्रांतिकारी योगदान किए हैं जिनमें कुछ मोबाइल फोन तकनीक और सैटेलाइट तकनीक से संबंधित हैं। ISRO के बारे में सोचकर हमें गर्व महसूस होता है, जिसने हमें अंतरिक्ष में भारतीय उपस्थिति का गर्वीला अनुभव कराया है।
खाद्य पदार्थ: भारतीय खाना
आखिरी में, भला कौन भारतीय खाने को भूल सकता है? http के बिना वेब ठीक से काम नहीं कर सकती, उसी प्रकार बिना भारतीय खाने के, हमारा दिन ही अधूरा रह जाता है। चाहे वह घरेलू स्तर पर हो या रेस्तरां, हर जगह भारतीय खाने की धुंध होती है।